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Showing posts from November, 2017

13. विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

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13. विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव चुम्बक के ध्रुव (The poles of Magnet): 1. उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे को  उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं। 2. दूसरा सिरा जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत  करता है उसे दक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा दक्षिण ध्रुव कहते हैं।   चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field):  एक मैगनेट के चारों के क्षेत्र जिसमें चुम्बक का पता लगाया जा सकता है, चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है | चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ (Magnetic Field Lines):  चुम्बक के चारों ओर बहुत सी रेखाएँ बनती हैं, जो चुम्बक के उतारी ध्रुव से निकल कर दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती प्रतीत होती हैं, इन रेखाओं को चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं | चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की विशेषताएँ (Features of Magnetic Field Lines):  (i) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में समाहित हो जाती है | (ii) चुम्बक के अंदर, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा इसके दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होता है | (iii) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ बंद वक्र होती हैं | (iv) जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए घनी होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्

12. विद्युत

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12. विद्युत 12.  (Elecricity)  विद्युत आवेश घर्षणीक विद्युत (Frictional electricity):   रगड़ या घर्षण से उत्पन्न विद्युत को घर्षणीक विद्युत कहते हैं | विद्युत आवेश (Electric charge):   विद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं | 1. धन आवेश (Positive charge):  कांच कि छड को जब रेशम के धागे से रगडा जाता है तो इससे प्राप्त आवेश को धन आवेश कहते हैं | 2. ऋण आवेश (Negative charge):   एबोनाईट कि छड को ऊन के धागे से रगडा जाता है तो इस प्रकार प्राप्त आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है | इलेक्ट्रानों कि कमी के कारण धन आवेश उत्पन्न होता है |  इलेक्ट्रानों कि अधिकता से ऋण आवेश उत्पन्न होता है |  विद्युत स्थैतिकता का आधारभूत नियम (Fundamental law of electrostatics):  समान आवेश एक दुसरे को प्रतिकर्षित करती हैं |   असमान आवेश एकदूसरे को आकर्षित करती हैं |  स्थैतिक विद्युत (Statics electricity):  जब विद्युत आवेश विराम कि स्थिति में रहती हैं तो इसे स्थैतिक विद्युत कहते हैं | धारा विद्युत (Current electricity):   जब विद्युत आवेश गति में होता है तो इसे धारा विद्युत कहते हैं | विद्युत धारा एवं आवेश (Electric Current An

11. मानव-नेत्र एवं रंगबिरंगी दुनियाँ

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11. मानव-नेत्र एवं रंगबिरंगी दुनियाँ मानव नेत्र और उसके भाग- परिचय:  मानव नेत्र (Human Eyes):   मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान एवं सुग्राही ज्ञानेंद्रिय हैं। यह कैमरे की भांति कार्य करता हैं । हम इस अद्भूत संसार के रंग बिरंगे चीजो को इसी द्वारा देख पाते हैं। इसमें एक क्रिस्टलीय लेंस होता है। प्रकाश सुग्राही परदा जिसे रेटिना या दृष्टिपटल कहते हैं इस पर प्रतिबिम्ब बनता हैं । प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र में प्रवेश करता हैं। इस झिल्ली को कॉर्निया कहते हैं । कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है। जिसे परितारिका कहते हैं। यह पुतली के साइज को नियंत्रित करती है। जबकि पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश को नियंत्रित करता हैं। लेंस दूर या नजदीक के सभी प्रकार के वस्तुओं का समायोजन कर वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनाता है। नेत्र के विभिन्न भाग परिचय और कार्य:  (1) कॉर्निया या स्वच्छ मंडल (Cornia) :  नेत्र की काला दिखाई देने वाला गोलाकार भाग को कॉर्निया कहते हैं | यह नेत्र के डायफ्राम के ऊपर स्थित एक पतली झिल्ली होती है | कार्य :  इसी से होकर नेत्र में प्रकाश प्रवेश करता है | यह नेत्र का स

10. प्रकाश-परावर्तन एवं अपवर्तन

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10. प्रकाश-परावर्तन एवं अपवर्तन परावर्तन का नियम- प्रकाश वस्तुओं को दृश्य बनाता है | सूर्य का प्रकाश दिन के समय वस्तुओं के देखने में मदद करता है | हम किसी वस्तु को कैसे देख पाते है ? वस्तु पर पड़ने वाले प्रकाश को वस्तु परावर्तित कर देती है, यह परावर्तित किरण जब हमारी आँखों के द्वारा ग्रहण किया जाता है तो यह परावर्तन वस्तु को आँखों के द्वारा देखने योग्य बनाता है | प्रकाश की किरण :  जब प्रकाश अपने प्रकाश के स्रोत से गमन करता है तो यह सीधी एवं एक सरल रेखा होता है | प्रकाश के स्रोत से चलने वाले इस रेखा को प्रकाश की किरण कहते है | छाया:  जब प्रकाश किसी अपारदर्शी वस्तु से होकर गुजरता है तो यह प्रकाश की किरण को परावर्तित कर देता है जिससे उस अपारदर्शी वस्तु की छाया बनती है | प्रकाश का विवर्तन :   यदि प्रकाश के रास्ते में राखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत सूक्ष्म हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की अपेक्षा इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृति दिखता है - इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते है | प्रकाश का परावर्तन : जब प्रकाश की किरण किसी चमकीले सतह से या परावर्तक पृष्ठ से टकराता है तो यह उसी माध्यम में पुन